• नीतीश कुमार अब मुख्यमंत्री की जिम्मेदारियों के निर्वहन में सक्षम नहीं : दीपांकर भट्टाचार्य

    भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा माले) महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार अब मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में सक्षम नहीं हैं

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    पटना : भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा माले) महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार अब मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में सक्षम नहीं हैं।


    दीपांकर भट्टाचार्य ने शनिवार को बिहार दिवस के अवसर पर प्रदेश की जनता को बधाई दी और न्यायपूर्ण, समतामूलक नए बिहार के निर्माण के संकल्प को पूरा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बिहार दिवस 2025 से ठीक एक दिन पहले, एक सार्वजनिक समारोह के दौरान कुमार के असामान्य व्यवहार का एक वीडियो वायरल हुआ है। राष्ट्रगान के दौरान मुख्यमंत्री को यह भान भी नहीं था कि क्या हो रहा है। हाल के दिनों में मुख्यमंत्री के सार्वजनिक व्यवहार और बयानों से यह स्पष्ट हो रहा है कि वे अब अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की स्थिति में नहीं हैं। बिहार के लोगों को मुख्यमंत्री की वास्तविक स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी चाहिए। मौजूदा परिस्थितियां मुख्यमंत्री और बिहार की जनता, दोनों के लिए अनुचित हैं।


    माले महासचिव ने कहा कि ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की कथित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को बड़ा मुद्दा बनाया था। यहां तक कि अपने एक चुनावी भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पटनायक की अनिश्चित स्वास्थ्य स्थिति को लेकर किसी राजनीतिक साजिश का संकेत दिया था। लेकिन बिहार में भाजपा पूरी तरह चुप है और जब विपक्ष मुख्यमंत्री की स्थिति पर सवाल उठाता है तो भाजपा-जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता उसे अनावश्यक राजनीति करार देते हैं।

    भट्टाचार्य ने कहा कि कभी कुमार सुशासन का दावा करते थे और बेहतर कानून व्यवस्था का श्रेय लेते थे लेकिन आज शासन व्यवस्था चरमरा चुकी है। जिन तीन मुद्दों अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता पर नियंत्रण का उन्होंने वादा किया था, वे बेलगाम हो चुके हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पास सरकार चलाने के लिए बहुमत है, लेकिन यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री अब नियंत्रण में नहीं हैं और उनके सहयोगी जनता को अंधेरे में रखना चाहते हैं। सरकार के नाम पर एक अपारदर्शी नौकरशाही व्यवस्था चल रही है, जो बिहार को लगातार अनिश्चितता की ओर धकेल रही है। बिहार दिवस 2025 के अवसर पर बिहार की जनता को यह जानने का अधिकार है कि राज्य की बागडोर वास्तव में किसके हाथ में है और सरकार की स्थिति क्या है।

     

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